हिन्दू की परिभाषा आचार्य विनोबा भावे के शब्दों मे
जो वर्णो और आश्रमों की वयवस्था मे निष्ढा रखने वाला गौ-सेवक, श्रतियो (स्त्रीयो) को माता की भांति पूज्य मानने वाला तथा सब धर्मो का आदर करने वाला है, देव मूर्ति की जो अवज्ञा नहीं करता, पुनर्जन्म को मानता है और उससे मुक्त होने की चेष्टा करता है तथा जो सदा सब जीवों के अनुकूल बर्ताव को अपनाता है, वही हिन्दू माना गया हैI हिंसा से उसका चित दुखी होता है, इसलिए उसे हिन्दू कहा गया है I
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