स्वामी विवेकानंद जी के अमृत वचन :-
मुझे हिन्दू होने का गर्व है।एक सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
देशवासियों को कर्तव्य की याद दिलाते उद्घोषणा मे दिये गए वचन
स्वामी विवेकानंद जी के अमृत वचन -- सबसे बड़ा धर्म है, अपने स्वभाव के प्रति, सच्चे होना,स्वयं पर. विश्वास करो स्वामी विवेकानंद जी के अमृत वचन -- अपनी मदद स्वयं करो तुम्हारी मदद कोई और नहीं कर सकता, तुम खुद के सबसे बड़े दुश्मन हो, और खुद के सबसे अच्छे दोस्त भी .....
स्वामी विवेकानंद जी के अमृत वचन -- अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है
लुढ़कते पत्थर में काई नहीं लगती वास्तव में वे धन्य है जो शुरू से ही जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लेते है. जीवन की संध्या होते होते उन्हें बड़ा संतोष मिलता है कि उन्होंने निरूद्देश्य जीवन नहीं जिया तथा लक्ष्य खोजने में अपना समय नहीं गवाया. जीवन उस तीर की तरह होना चाहिए जो लक्ष्य पर सीधा लगता है और निशाना व्यर्थ नहीं जाता।
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