महाराज पाण्डु विचित्रवीर्य तथा अम्बालिका के पुत्र थे। इनका जन्म भी वेदव्यास के वरदान स्वरूप हुआ था। ये धृतराष्ट्र के छोटे भाई थे। धृतराष्ट्र के जन्मान्ध होने के कारणवश पाण्डु को राजगद्दी मिली।
महाराज पाण्डु के दो विवाह हुए थे पहला कुन्तीभोज की कन्या पृथा (कुन्ती) के साथ सम्पन्न हुआ था और दूसरा मद्र राज शल्य की बहन माद्री के साथ सम्पन्न हुआ। महाराज पाण्डु के पांच पुत्र थे जिन्हें पांच पांडव कहा जाता है। युधिष्ठिर, भीम तथा अर्जुन कुन्ती के पुत्र तथा नकुल और सहदेव माद्री पुत्र थे।
कहा जाता है कि एक बार महाराज पाण्डु वन विहार कर रहे थे हिरण की आशंका में उन्होंने बाण चलाया और उनका बाण इक ऋषि को जा लगा जो अपनी पत्नी के साथ वन में मौजूद थे। मुनि ने महाराज पाण्डु को श्राप दिया कि अगर तुम कभी भी काम के वशीभूत होगे तो तुम्हारी मृत्यु हो जायेगी, जैसे की मेरी हुई है।
एक बार महाराज पाण्डु तथा माद्री स्वयं को वश में न कर सके और कामवासना कर बैठे, अतः श्राप के कारण महाराज पाण्डु की मृत्यु हो गयी।
लेखन : मिनी