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Thursday, December 24, 2020

सनातन धर्म क्या है ?


“यह पथ सनातन है। समस्त देवता और मनुष्य इसी मार्ग में पैदा हुए हैं तथा प्रगति की है हे मनुष्य आप अपने उत्पन्न होने की अवधारणा अपनी माता को विनष्ट  न करें ”   -- ॠग्वेद 3-18-1 

विश्व के सभी धमों में सनातन धर्म सबसे प्राचीन धर्म है। परंपरागत वैदिक धर्म जिसमें परमात्मा को साकार और निरंकार दोनों रुपों में पूजा जाता है, जो अपने अन्दर कई अलग - अलग उपासना पद्धतियां, मत, सम्प्रदाय, और दर्शन को समेटे हुए है। 
सनातन धर्म का अर्थ: 'शाश्वत'  या 'हमेशा' बना रहने वाला है। इसका न ही कोई अंत है न ही कोई आरम्भ है। वही सनातन धर्म है। 
“जो उपकार करे, उसका प्रत्युपकार करना चहिये, यही सनातन धर्म है” -- महर्षि वाल्मीकि 

सनातन धर्म सृष्टि के प्रारंभ काल से ही चला आ रहा है। माना जाता है कि इसके 1960853112 वर्ष पूर्ण हो गया है। यह वर्तमान  प्रचलित ब्रम्हांड गणित के आधार पर है। सनातन धर्म में 'ओउम्’ को ही परमेश्वर माना जाता है, जो  सच्चिदानन्द स्वरूप, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनंत, निर्विकार, अजर अमर है। 
ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात् , पूर्ण मुदच्यते, 
पूर्णस्य पूर्णमादाय, पूर्ण मेवा वशिष्यते। 
ॐ शांति: शांति: शांतिः       --  ईशोपनिषद
वह जो दिखाई नहीं देता है, वह अनंत और पूर्ण है। यह दृश्यमान जगत भी अनंत है। उस अनंत से विश्व बहिर्गत हुआ। यह अनंत विश्व उस अनंत से बहिर्गत होने पर भी अनंत ही रह गया।

सनातन धर्म के मूल तत्व सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, दान, जप, तप, यम, नियम आदि है। सत्य शब्द की व्युत्पत्ति दो धातुओं से हुई है सत् और तत्।  सत्य का अर्थ है यह और तत् का अर्थ है वह। दोनों ही सत्य है। सम्पूर्ण जगत ब्रम्हमय है। संसार की उत्पति ब्रम्ह से ही हुई है। यही सनातन सत्य है, यही सनातन धर्म है। जो सदैव स्थिर रहता है। सनातन धर्म सम्प्रदाय और देवी देवता: प्राचीन काल में भारतीय सनातन धर्म में गाणपत्य ,शैव, वैष्णव, शाक्त और सौर नामक सम्प्रदाय थे। गाणपत्य भगवान गणेश की, वैष्णव भगवान विष्णु की, शैव कोटी शिव की, शाक्त शक्ति की और सौर सूर्य की आराधना करते थे। पर मान्यता थी की सब एक ही सत्य की व्याख्या है। न केवल ऋग्वेद अपितु रामायण और महाभारत में भी उल्लिखित है की प्रत्येक सम्प्रदाय के लोग अपने सम्प्रदाय के देवता को दूसरे सम्प्रदायों के देवता से श्रेष्ठ समझते थे और इस कारण आपस में वैमनस्य बना रहता था। इसलिए धर्म गुरुओ ने लोगो को यह शिक्षा देना आरम्भ किया की सभी देवी देवता समान हैं।

स्रोत: सनातन धर्म साहित्य यानी की वेद, पुराण, उपनिषद, दर्शन, ब्राह्मण ग्रन्थ, मनुस्मृति, महाभारत,रामायण आदि है। ऋग्वेद सनातन धर्म का सबसे प्राचीन और प्रमुख स्रोत है। 

ऋग्वेद: ऋग्वेद प्राचीनतम ग्रन्थों में से एक है। यह सनातन धर्म का मुख्य स्रोत है| इसमें 1028 सूक्त हैं, जिसमें देवताओं की स्तुति की र्ई है। इस ग्रंथ में देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मंत्र है। ऋक् संहिता में 10 मंडल, बालखिल्य सहित 1028 सूक्त हैं। सूक्त वेद मंत्रों के समूह को कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकाम ही प्रतिपादन रहता है।  

सनातन धर्म सुधार सनातन धर्म में आधुनिक और समसामयिक चुनोतियो  का सामना करने के लिये इसमें बदलाव होते रहे। राजाराम मोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी वववेकानंद आदि धर्म सुधारकों ने सनातन धर्म में व्याप्त कुरीतियों जैसे, सती प्रथा, बाल विवाह, अस्पर्शता जैसे विचारो का खंडन किया और सुधारने की कोशिश की।  सनातन धर्म को हिन्दू धर्म का ही प्राचीन रुप माना जाता है, और सिख, जैन, बौद्ध धर्मावलंबी भी सनातन धर्म का ही हिस्सा है। 
“ हम भारतीय सभी धमों के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते, वरना सभी धमों को सच्चा मानकर स्वीकार भी करते हैं”    -- स्वामी विवेकानन्द

लेखन : मिनी