नकुल और सहदेव महाराज पाण्डु तथा माद्री के जुड़वां संतान थे। कहते हैं महारानी कुन्ती के तीनों पुत्रों के जन्म के पश्चात रानी माद्री को भी संतान प्राप्ति की इच्छा हुई। तत्पश्चात् महारानी कुन्ती ने उन्हें किसी देवता का ध्यान करने को कहा। कुन्ती के आदेश पर माद्री ने अश्विनी कुमारों का ध्यान किया। वरदान स्वरूप उन्हें जुड़वां संतान की प्राप्ति हुई। माद्री मद्र राज शल्य की बहन थी।
नकुल अत्यंत पराक्रमी तथा खूबसूरत थे। नकुल सहदेव से बड़े थे। नकुल को धर्म, नीति और चिकित्सा का बड़ा ज्ञान प्राप्त था। नकुल तलवारबाजी और घुड़सवारी में दक्ष थे। अज्ञातवास के दौरान नकुल विराट में 'ग्रंथिक' नाम से जाने जाते थे। जो कि घोडों की देखभाल करते थे।
सहदेव पांचों पाण्डवों में सबसे छोटे थे। सहदेव को धर्मशास्त्र, चिकित्सा तथा ज्योतिष के ज्ञानी थे। अज्ञातवास के दौरान इन्होंने भी विराटनगर में पशुओं की देखभाल का अनुभव किया था। कहा जाता है तो सहदेव को भविष्य को भी समझने का ज्ञान था।
लेखन :मिनी