Tuesday, December 15, 2020

सरस्वती वंदना :----- वर दे, वीणावादिनि वर दे

सरस्वती वंदना :-----

वर दे, वीणावादिनि वर दे,

प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव

भारत में भर दे,

काट अंध-उर के बंधन-स्तर,

बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर,

कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर,

जगमग जग कर दे,

वर दे, वीणावादिनि वर दे,

प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव

भारत में भर दे

नव गति, नव लय, ताल-छंद नव

नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव,

नव नभ के नव विहग-वृंद को,

नव पर, नव स्वर दे,

वर दे, वीणावादिनि वर दे, 

वर दे, वीणावादिनि वर दे,

प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव

भारत में भर दे 


No comments:

Post a Comment